शाम 6 बजे के बाद खाना खाने से मोटापा और टाइप 2 डायबिटीज बढ़ने का खतरा

शाम 6 बजे के बाद खाना खाने से मोटापा और टाइप 2 डायबिटीज बढ़ने का खतरा

सेहतराग टीम

बरसों से भारत की सूर्यास्त पूर्व भोजन की मान्यता पर अमेरिकी शोधकर्ताओं ने भी मुहर लगाई है। दावा है कि यदि आप शाम 6 बजे के बाद भोजन करते हैं, तो इससे मोटापा और टाइप 2 डायबिटीज का खतरा हो सकता है। दरअसल, जब स्वस्थ रहने की बात आती है तो ‘हम क्या खाते हैं’ के साथ ही यह भी अहम होता है कि ‘हम कब खाते हैं।’

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शोधकर्ताओं का कहना है कि शरीर अपनी आंतरिक घड़ी के अनुसार प्रतिक्रिया करता है। रात के समय पाचन तंत्र कम लार बनाता है, पेट पाचक रस का उत्पादन कम करता है, भोजन को आगे बढ़ाने वाली आंतें सिकुड़ जाती हैं और हम हॉर्मोन इंसुलिन के प्रति कम संवेदनशील हो जाते हैं। शरीर की आंतरिक घड़ी पर शोध करने वाले कैलिफोर्निया के साक इंस्टीट्यूट के प्रो. सैचिन पांडा के मुताबिक, शरीर आंतरिक घड़ी का पालन करता है।

चूहों पर हुए शोध के आधार पर दावा-

इस बात की पुष्टि के लिए चूहों के दो समूहों को एक समान कैलोरी का भोजन दिया गया। अंतर केवल इतना था कि पहले समूह की भोजन तक पहुंच 24 घंटे थी, जबकि दूसरे समूह को दिन के 8 घंटे ही भोजन दिया गया। कुछ दिन बाद पाया गया कि पहले समूह का वजन बढ़ गया था। इस समूह में उच्च कोलेस्टेरॉल और टाइप 2 डायबिटीज जैसे लक्षण दिखने लगे थे। जबकि जिस समूह को तय समय पर भोजन दिया जा रहा था, वह स्वस्थ था। महत्वपूर्ण बात यह भी सामने आई कि दूसरे समूह में टाइप 2 डायबिटीज से लड़ने की क्षमता विकसित हो गई थी।

आंतों को मरम्मत का मौका मिलना जरूरी-

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के शोध में बताया गया कि जो लोग सोने से एक घंटे पहले भोजन करते हैं, वे अपनी ब्लड शुगर शर्करा को उतनी बेहतर तरीके से नियंत्रित नहीं कर पाते, जितने बेहतर तरीके से जल्दी भोजन करने वाले। प्रो. पांडा मानते हैं कि समयबद्ध भोजन सेहत के लिए बेहतर है, क्योंकि इससे आंतों को खुद की मरम्मत का मौका मिल जाता है।

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बार-बार भोजन का समय न बदलें-

रोज पाचन की प्रक्रिया के दौरान आंतों की 10 में से एक कोशिका क्षतिग्रस्त होती है। देर रात भोजन और सुबह जल्दी ब्रेकफास्ट करने से उन्हें मरम्मत और सुधार का कम समय मिल पाता है। इसलिए दिन में भी भोजन का समय तय करें और उसी पर टिके रहें, क्योंकि अप्रत्याशित समय पर भोजन करने से पाचक ऊतक गड़बड़ा जाते हैं।

(साभार- भास्कर)

 

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